सच तो यही है कि मित्रों ईश्वर मन में बसा हुआ है . उसका वजूद का ख्याल हमें किसी भी सुख में नहीं आता है ,जब दुःख हो तो तुरंत ही उसका ख्याल आता है . अब चूंकि सुख और दुःख दोनों ही मन की ही देन है , इसलिए ईश्वर का होना और नहीं होना वो भी मन की ही देन है . जाकी रही भावना जैसी ,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी..!
प्रणाम ..
प्रणाम ..
1 comment:
बहुत सच कहा है...
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