Wednesday, July 25, 2012

गीतांजलि : रविन्द्रनाथ टैगोर

गीतांजलि : रविन्द्रनाथ टैगोर

मित्रो , हममें से शायद ही कोई होंगा , जिसने इस कृति को नहीं पढ़ा है . और अगर नहीं पढ़ा है तो मेरा निवेदन है कि जरुर ही पढ़ ले . इसलिए नहीं कि इसे सब महान कृति मानते है . ये है ही एक महान कृति.

आप पढेंगे तो पता चलेंगा कि कवि गुरु ने कितने अच्छे शब्दों में इश्वर के प्रति अपनी भक्ति को रचा हुआ है . रविन्द्रनाथ  टैगोर लिखित गीतांजलि मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि एक महाकाव्य रूपी ग्रंथ है। और ये कहने में कोई संकोच भी नहीं है कि इस पुस्तक के कारण दुनिया के साहित्यकारों ने भारत के उच्च साहित्य लेखनी को जाना.

मैंने इसे कई बार पढ़ा है और मुझे इसके सारे गीत बहुत पसंद है . और सिर्फ इसलिए भी मैं रविन्द्र संगीत को सुनता हूँ और बहुत पसंद करता हूँ. 

गीतांजलि में एक गीत है : चाई गो आमि तोमारे चाई : कविगुरु इसमें प्रभु को पुकारते है .

ऐसे ही सुन्दर गीतों से ये पुस्तक सजी हुई है . आप सभी से निवेदन  है कि इसे एक बार फिर से पढ़े और प्रभु के प्रति अपनी भक्ति को कोमल भाव दे.

प्रणाम
आपका
विजय

Monday, July 23, 2012

हे राम .....!

मेरे प्रिय मित्रों ,

कभी कभी बहुत तकलीफ होती है . तब ऐसे वक्त में सिर्फ एक ही काम कीजिये . अपने दिल पर हाथ रखिये और अपने प्रभु का नाम लीजिए . और कहिये . हे भगवान , मेरा सब कुछ तू ही . मैं भी तेरा , मेरा जीवन भी तेरा. हे राम मेरे .. मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखना .

देखिये कैसे जादू होता है ..

बहुत से प्रेम भरे आलिंगनो के साथ
आपका अपना 
विजय 

Friday, July 20, 2012

बच्चो जैसे बने

प्रिय मित्रो ,

पिछले दिनों मैं बाईबिल पढ़ रहा था . उसमे प्रभु ईशा से उनके शिष्य पूछते है कि स्वर्ग में कैसे जाए . ईशा एक बालक को थामकर कहते है कि बच्चो जैसे बने. स्वर्ग अपने आप ही मिल जायेंगा .


इस घटना में कितनी बड़ी सच्चाई है दोस्तों. बच्चे मन के सच्चे होते है , भोले होते है . सारा जगत ही उनमे समाया हुआ होता है .


कितना अच्छा  रहेंगा यदि हम बच्चो के भावो को और उनकी सच्चाई को अपनाए .

सोचिये ....और प्रयास कीजिये   !!!

एक बेहतर इंसान बनने का रास्ता बच्चो के मूल भाव को स्वीकार करने से ही आयेंगा.


धन्यवाद और प्रणाम

आपका
विजय

जियो जी भर के ..

मेरे प्रिय मित्रो ,

कल मैं शाम को बहुत उदास था, राजेश खन्ना की मृत्यु के कारण . मुझे याद है , इंजीनियरिंग के पढाई के वक़्त मैं उनकी फिल्मो के गाने गाता था. लेकिन आज आनंद चला गया . लेकिन आनंद जैसे किरदार कभी नहीं मरते ..हमारे दिलो में रहते है . मैंने कल उनकी फिल्मो के गाने अपने दोस्तों को सुनाकर उन्हें श्रधांजलि दी .

कल एक बात मुझे समझ में आई कि राजेश को किसी और कारण से ज्यादा उनके अकेलेपन ने मारा है .

दोस्तों , हम सब कहीं न कहीं अकेले होते है अपनी ज़िन्दगी में. और कभी कभी ये अकेलापन हमारे दिल और दिमाग में घर बना लेता है . और तब धीरे धीरे हमें हमारा ही अकेलापन मारने लगता है . राजेश के साथ यही हुआ.

आज मैं आपसे यही कहना चाहूँगा कि अकेलेपन को घर मत बनाने दे. अपने आपको किसी भी creative skills  में डुबो दे.. दुनिया आपकी है . जमीन आपकी है , आसमान आपका है . चाँद सूरज तारे और ये सुन्दर सी प्रकृति आपकी है .. बस अपने अकेलेपन को इन सब चीजो से भर दे , जो भगवान् में हमें दिया हुआ है . जीवन को भरपूर जिए .

जैसे कि राजेश खन्ना , आनंद फिल्म में कहते है कि ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए , लम्बी नहीं .. मैं भी यही बात आप सभी से कहता हूँ. जियो जी  भर के .. खुशिया आपके आस पास ही है . आपके भीतर ही है.

प्रणाम
आपका सभी का
विजय

Thursday, July 19, 2012

अनुभूतियाँ

मेरे प्रिय मित्रों / आत्मन

हम अक्सर अपने कर्मो को करने के चक्कर में कुछ गलत कर्म भी कर लेते है और कुछ अनुचित शब्दों का प्रयोग भी कर लेते है . लेकिन जैसे कि माया अन्जेलो ने कहा है ,कि , लोग भले ही  हमारे कर्म और हमारे शब्द भूल जाए , लेकिन कोई ये नहीं भूलता कि , हमने उन्हें कैसी अनुभूतियाँ दी .

आज , मैं आप सबसे निवेदन करता हूँ कि अपने शब्दों को और अपने कर्मो को संवेदनशील बनाए रखे. क्योंकि , वक्त तो गुजरता ही रहता है ...और लोग हर अनुभूति को संजोये रखे रहते है .. अच्छा करिये अच्छा ही होंगा .. प्रेम पाने के लिये सिर्फ प्रेम ही करे..

आप सभी  का धन्यवाद.
आप का जीवन शुभ हो
असीम प्रेम से भरे आलिंगनो के साथ
आपका
विजय

Saturday, July 7, 2012

ख़ुशी और खुश होना

प्रिय मित्रो :
शुभप्रभात और जीवन की शुभकामनाये !!!


आज बहुत सीधी सी बात कहूँगा आप से. जीवन में छोटी छोटी बातो में खुशियाँ ढूंढें . क्योंकि अक्सर बड़ी बड़ी चीजे हमें दुःख देती है . इसलिए बस छोटी छोटी बाते, जैसे बच्चो का हँसना और मुस्कराना , अपने घर के पौधों में फूलो  के रंगों को देखना ,  आकाश में छाए बादलो को देखना , बारिश की बूंदों में नहाना, सुबह की हवा में पूरे फेफड़ो में जी भर कर सांस लेना , किसी सुनसान जगहो  पर किसी मंदिर के आगे झुक जाना , हर किसी को माफ़ कर देना , किसी बूढ़े से पेड़ को अपनी बांहों में भर लेना , सड़क पर रुक कर दुनिया को देखना .. और वो सारी चीजो में जीवन को ढूंढ कर मस्त होना जो हमें ईश्वर ने मुफ्त में दी है ... जीवन खुश होने का नाम है . आप तो बस हर बात में खुश होना सीख लीजिये मेरी तरह.. जैसे मैं आप सबकी संगत में खुश हूँ. जीवन से खुश हूँ....!


याद रखे . ख़ुशी और खुश होना आपका अधिकार है . जो की ईश्वर से आपको मिला है .. 


आपका
अपना
विजय

Tuesday, July 3, 2012

आप सभी को गुरुपूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनाये !






मेरे प्रिय आत्मन ;

आप सभी को गुरुपूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनाये !

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरूर देवो महेश्वराय।
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै ‍श्री गुरुवे नम:।।

मित्रों, गुरू को साक्षात परब्रह्म की संज्ञा दी गई है। और बिन गुरु ज्ञान नाही होवत है . संत कबीर ने भी यही कहा है कि नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार !

हम सभी जीवन के इस संग्राम में अध्यात्म की खोज में एक अनंत यात्रा पर चल रहे है . हृदयम के इस समूह में आप सभी हर दिन , निरंतर इसी यात्रा में दूसरे सहभागियो के साथ बहुत से गुरुओ के द्वारा दिए गये ज्ञान को प्राप्त कर रहे है .

मैं आप सभी को इस यात्रा की बधाई और शुभकामनाये देता हूँ. गुरु आपके जीवन में प्रकाश लाते है . जितना आप अपने गुरु को समर्पित होंगे उतना ही आप ईश्वर के करीब पहुंचेंगे और इस प्रक्रिया में आप अपने गुरु के निकट होंगे. भक्ति की राह में गुरु का होना बहुत जरुरी है .

भगवान कृष्ण के १६ गुरु थे. सोचिये .भगवान भी बिन गुरु के नहीं रहे फिर हम क्या . इसलिए किसी न किसी गुरु के आँचल को थाम लीजिए और अनंत यात्रा में उनका आशीर्वाद प्राप्त करे.

मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे ओशो , रविशंकर, मुरारी बापू, दलाई लामा इत्यादि गुरुओ का आशीर्वाद मिला . और सबसे ऊपर तो मेरे प्रभु श्री साईं ही है .जो गुरु भी है , मित्र भी  है .और देवता भी .

अंत में एक बार फिर से आप सभी को गुरुपूर्णिमा की बधाई .

ॐ सांई राम...!

आपका
विजय