Thursday, June 26, 2014

जीवन !!!

मेरे आत्मीय मित्रो , 
नमस्कार 

कभी इस पर भी सोचा है कि तुम्हारा खुद का क्या है जो इतना अभिमान है . 

जीवन से लेकर मरण तक सब कुछ तो दुसरे का ही है . तब क्यों जीवन को इस तरह जीना कि वो खुद के लिए भी कष्टदायक हो जाए और दुसरो के लिए भी तकलीफदेह ! 

आईये , ईश्वर को याद करके उन सभी का आभार माने  और धन्यवाद दे , जिन्होंने हमारे जीवन को संवारा , बेहतर बनाया ! 

ये जीवन आपका है . इसे खुशनुमा सिर्फ आप ही बना सकते है !

प्रणाम 
सदा ही आपका 
विजय 


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