मेरे प्रिय आत्मन ;
नमस्कार
आज आपको बताऊ , जीवन में सारे दुखो का कारण मात्र और मात्र अपेक्षा ही है . मानव का ये स्वभाव है की हम हर किसी से अपेक्षा करते है . और कभी कभी ये अपेक्षाए जरुरत से ज्यादा हो जाती है और जब हमें , हमारी अपेक्षाए पूरी होती नहीं दिखाई देती; तब क्रोध, क्षोभ और दुःख [ निराशा भी ] हमारे साथी बन जाते है और हम अपना सुन्दर जीवन नष्ट कर देते है.
अपेक्षा जरुरी है , ये हमारे स्वप्नों को अग्नि देती है , पर अति अपेक्षा ही दुःख देती है . इसलिए उम्मीद करे पर ज्यादा नहीं .
आपको प्रेम .
विजय