Monday, April 29, 2013

अपेक्षा


मेरे प्रिय आत्मन ; 
नमस्कार 

आज आपको बताऊ , जीवन में सारे दुखो का कारण मात्र और मात्र अपेक्षा ही है . मानव का ये स्वभाव है की हम हर किसी  से अपेक्षा करते है . और कभी कभी ये अपेक्षाए जरुरत से ज्यादा हो जाती है और जब हमें , हमारी अपेक्षाए पूरी होती नहीं दिखाई देती; तब क्रोध, क्षोभ और दुःख [ निराशा भी ] हमारे साथी बन जाते है और हम अपना सुन्दर जीवन नष्ट कर देते है. 

अपेक्षा जरुरी है , ये हमारे स्वप्नों को अग्नि देती है , पर अति अपेक्षा ही दुःख देती है . इसलिए उम्मीद करे पर ज्यादा नहीं . 

आपको प्रेम .
विजय 

Friday, April 26, 2013

जरा सोचिये तो ...!



कामयाब व्यक्ति .....!!!



अनुशासन

हर घर में अगर अनुशासन का पालन किया जाए तो युवाओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों में 95 प्रतिशत तक कमी जाऐगी । 
--- जे एडगर हूवर

Sunday, April 21, 2013

प्रतिज्ञा

प्रतिज्ञा करें कि छोटों के साथ नरमी से, बड़ों के साथ करूणा से, संघर्ष करने वालों के साथ हमदर्दी से और कमजोर व ग़लती करने वालों के साथ सहनशीलता से पेश आने की। क्‍योंकि हम अपने जीवन में कभी न कभी इनमें से किसी न किसी स्थिति से गुजरते है। 
--- लायड शीयरर