" माँ " से बढ़कर दुनिया में कोई और अच्छा संबोधन नहीं है और न ही , माँ से बढकर कोई और दूसरा व्यक्ति !
लेकिन जब हम बच्चे रहते है , तब हमें माँ बहुत प्यारी लगती है , जब बड़े हो जाते है तो वही माँ हमें हमारे thoughts , actions , behavior और ज़िन्दगी में interference करती हुई नज़र आती है . जैसे जैसे हम बड़े हो जाते है , हम पाते है की , हमारे पास माँ के लिए न शब्द बचते है , और न ही बाते, और न ही समय !!
हम भूल जाते है की हमें ज़िन्दगी देने वाली ही माँ है . और जब माँ नहीं रहती है तो , उसकी बड़ी याद आती है . जब सामने रहती है तो उसकी तरफ ध्यान ही नही जा पाता है !
प्रिय मित्रो , अगर माँ है तो उसके पास जाओ और उसे भी प्यार दो . उसकी झोली हमारे लिए कभी भी प्यार से खाली नहीं होती है . बस हम ही बदलने लग जाते है !!
समय रहते , अपनी माँ को ये अहसास दिलवाओ कि तुम हो उसके लिए !!! हमेशा !!!!
- स्वामी प्रेम विजय
लेकिन जब हम बच्चे रहते है , तब हमें माँ बहुत प्यारी लगती है , जब बड़े हो जाते है तो वही माँ हमें हमारे thoughts , actions , behavior और ज़िन्दगी में interference करती हुई नज़र आती है . जैसे जैसे हम बड़े हो जाते है , हम पाते है की , हमारे पास माँ के लिए न शब्द बचते है , और न ही बाते, और न ही समय !!
हम भूल जाते है की हमें ज़िन्दगी देने वाली ही माँ है . और जब माँ नहीं रहती है तो , उसकी बड़ी याद आती है . जब सामने रहती है तो उसकी तरफ ध्यान ही नही जा पाता है !
प्रिय मित्रो , अगर माँ है तो उसके पास जाओ और उसे भी प्यार दो . उसकी झोली हमारे लिए कभी भी प्यार से खाली नहीं होती है . बस हम ही बदलने लग जाते है !!
समय रहते , अपनी माँ को ये अहसास दिलवाओ कि तुम हो उसके लिए !!! हमेशा !!!!
- स्वामी प्रेम विजय