Thursday, July 28, 2011

" माँ "

 " माँ " से बढ़कर दुनिया में कोई और अच्छा संबोधन नहीं है और न ही , माँ से बढकर कोई और दूसरा व्यक्ति !

लेकिन जब हम बच्चे रहते है , तब हमें माँ बहुत प्यारी  लगती है , जब बड़े हो जाते है तो वही माँ हमें हमारे thoughts , actions , behavior और ज़िन्दगी में interference करती हुई नज़र आती है . जैसे जैसे हम बड़े हो जाते है , हम पाते है की , हमारे पास माँ के लिए न शब्द बचते है , और न ही बाते, और न ही समय !!


हम भूल जाते है की हमें ज़िन्दगी देने वाली ही माँ है . और जब  माँ नहीं रहती है तो , उसकी बड़ी याद आती है . जब सामने रहती है तो उसकी तरफ ध्यान ही नही जा पाता है !


प्रिय मित्रो , अगर माँ है तो उसके पास जाओ और उसे भी प्यार दो . उसकी झोली हमारे लिए कभी भी प्यार से खाली नहीं होती है . बस हम ही बदलने लग जाते है !!


समय रहते , अपनी माँ को ये अहसास दिलवाओ कि तुम हो उसके लिए !!! हमेशा !!!!


- स्वामी प्रेम विजय

6 comments:

vidhya said...

bahut hi sundar kaha aap,maa kaaarth bahut bada hai

vandana gupta said...

माँ ऐसी ही होती है बस उसे बच्चे जान नही पाते।

विभूति" said...

माँ तो ऐसी ही होती है...

Asha Joglekar said...

जब हम बडे हो जाते हैं माँ की हर बात दखलअंदाजी लगती है । मै ३८ साल का हो चुका हूँ मै अपने निर्णय खुद ले सकता हूँ । That's it .

Satish Saxena said...

इस प्रकार के लेखों की बहुत आवश्यकता है ! माँ से अच्छा कोई नहीं....
शुभकामनायें आपको !

Kailash Sharma said...

बहुत सच कहा है। माँ की तुलना तो किसी से हो ही नही सकती।