मेरे प्रिय मित्रो ;
नमस्कार !
जब हम मृत्यु को प्राप्त होंगे , तब सिर्फ तीन ही प्रश्न विचारणीय होंगे ::
१. क्या हमने जीवन जिया
२. क्या हमने प्रेम किया
३. क्या हमने इस संसार को वापस कुछ दिया /कुछ बांटा
और यदि इन में से एक भी या तीनो प्रश्नों के उत्तर यदि "न" में है , तो हमारा सारा जीवन जीना ही व्यर्थ है . और यदि तीनो का उत्तर यदि " हाँ " में है तो फिर कोई कामना ही न रखो मन में . बस जीवन तो जी ही लिया है हमने .
लेकिन यदि उत्तर " न " में है तो घबराने की कोई बात ही नहीं है मित्रो ,क्योंकि यदि आप इस सन्देश को पढ़ रहे है तो आप अभी जीवित है. यानी कि ईश्वर ने कुछ मौके और रख छोड़े है ,आपके लिए कि आप अपना जीवन सार्थक बनाए . बस उन्ही मौको को खोजिये . लोगो को प्रेम करिए . इस संसार को कुछ तो वापस जरुर कीजिये . और खुश रह कर जीवन को जिये . [ क्योंकि जीवन तो जीना ही है , जब तक की मृत्यु घटित नहीं होती है , तो क्यों न इसे ख़ुशी से जिए ] [ यहाँ मैं सुख की बात नहीं कर रहा हूँ मित्रो . सुख का ख़ुशी से कोई लेना -देना नहीं है ].
बस ख़ुशी आपकी अपनी बंदगी है , आपकी अपनी रवानगी है . यही जीवन है और यही सत्य है .
प्रणाम
विजय
13 comments:
सुन्दर वक्तव्य्।
sundar prastuti
Bahut bahut sundar!
बहुत सही ...
:)
बहुत गहन चिंतन के फलस्वरूप ऐसे विचार सामने आते हैं ! बहुत सार्थक आलेख !
जय हो!!
bahut goodh bat hai lekin jeevan aur mrutayu ko saral bana sakti hai. abhar.
बहुत गहन चिंतन...
comment by रवीन्द्र अग्निहोत्री :
प्रिय विजय कुमार जी,
मृत्यु से पहले अवश्य जी लें - आपके प्रेरक विचारों के लिए धन्यवाद. वस्तुतः सामान्य लोग जीवन को / समाज को कुछ देने की तो सोचते ही नहीं, जो मिला है उससे भी असंतुष्ट रहते हैं. हरेक का गिलास आधा भरा हुआ और आधा खाली है. लोग केवल खाली हिस्से को देखकर दुखी रहते हैं. आपने अपने ब्लॉग में जो कुछ कहा है , उसके लिए आपका अभिनन्दन
रवीन्द्र अग्निहोत्री
आपका कथन और सलाह दोनो नेक हैं । हम किसी आने वाले सुनहरे भविष्य की चिंता में अपने आज की खुशी के छोटे छोटे पल गंवां देते हैं । खुशी ही सर्वोपरी है और वह मिलती अवश्य है ।
bahut achha likha hai
shubhkamnayen
सच में ...वाह
क्या क्या और कैसे सोच लेते हैं आप विजय ?
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