गीतांजलि : रविन्द्रनाथ टैगोर
मित्रो , हममें से शायद ही कोई होंगा , जिसने इस कृति को नहीं पढ़ा है . और अगर नहीं पढ़ा है तो मेरा निवेदन है कि जरुर ही पढ़ ले . इसलिए नहीं कि इसे सब महान कृति मानते है . ये है ही एक महान कृति.
आप पढेंगे तो पता चलेंगा कि कवि गुरु ने कितने अच्छे शब्दों में इश्वर के प्रति अपनी भक्ति को रचा हुआ है . रविन्द्रनाथ टैगोर लिखित गीतांजलि मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि एक महाकाव्य रूपी ग्रंथ है। और ये कहने में कोई संकोच भी नहीं है कि इस पुस्तक के कारण दुनिया के साहित्यकारों ने भारत के उच्च साहित्य लेखनी को जाना.
मैंने इसे कई बार पढ़ा है और मुझे इसके सारे गीत बहुत पसंद है . और सिर्फ इसलिए भी मैं रविन्द्र संगीत को सुनता हूँ और बहुत पसंद करता हूँ.
गीतांजलि में एक गीत है : चाई गो आमि तोमारे चाई : कविगुरु इसमें प्रभु को पुकारते है .
ऐसे ही सुन्दर गीतों से ये पुस्तक सजी हुई है . आप सभी से निवेदन है कि इसे एक बार फिर से पढ़े और प्रभु के प्रति अपनी भक्ति को कोमल भाव दे.
प्रणाम
आपका
विजय
मित्रो , हममें से शायद ही कोई होंगा , जिसने इस कृति को नहीं पढ़ा है . और अगर नहीं पढ़ा है तो मेरा निवेदन है कि जरुर ही पढ़ ले . इसलिए नहीं कि इसे सब महान कृति मानते है . ये है ही एक महान कृति.
आप पढेंगे तो पता चलेंगा कि कवि गुरु ने कितने अच्छे शब्दों में इश्वर के प्रति अपनी भक्ति को रचा हुआ है . रविन्द्रनाथ टैगोर लिखित गीतांजलि मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि एक महाकाव्य रूपी ग्रंथ है। और ये कहने में कोई संकोच भी नहीं है कि इस पुस्तक के कारण दुनिया के साहित्यकारों ने भारत के उच्च साहित्य लेखनी को जाना.
मैंने इसे कई बार पढ़ा है और मुझे इसके सारे गीत बहुत पसंद है . और सिर्फ इसलिए भी मैं रविन्द्र संगीत को सुनता हूँ और बहुत पसंद करता हूँ.
गीतांजलि में एक गीत है : चाई गो आमि तोमारे चाई : कविगुरु इसमें प्रभु को पुकारते है .
ऐसे ही सुन्दर गीतों से ये पुस्तक सजी हुई है . आप सभी से निवेदन है कि इसे एक बार फिर से पढ़े और प्रभु के प्रति अपनी भक्ति को कोमल भाव दे.
प्रणाम
आपका
विजय