Sunday, March 17, 2013

ईश्वर


प्रिय आत्मन ;
चाणक्य ने कहा है कि ईश्वर मूर्तियों में नहीं , बल्कि आपकी भावनाओं में रहता है और आत्‍मा आपका मन्दिर है। 
आईये इन शब्दों को मन से ग्रहण करे और जीवन को सुखमय बनाए .
प्रणाम 
आपका सेवक 
विजय 

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