Sunday, June 9, 2013

.सोचो ; साथ क्या ले जाओंगे यारो

प्रिय दोस्तों ,
नमस्कार ...कल मैंने पुछा था ....सोचो ; साथ क्या ले जाओंगे यारो .....

उसका सीधा सा जवाब है ... हम कुछ भी साथ लेकर नहीं आये थे ... लेकिन हाँ, जाते समय , बहुत कुछ साथ जायेंगा , हमारा भलापन, हमारी अच्छाई , हमारा प्रेम , हमारी दया , हमारी क्षमा , जीवन के वो पल , जिनमे हमने इस दुनिया के लिए सोचा , और दुसरो के लिए निस्वार्थ भाव से कुछ किया .... बस यही है जो साथ जायेंगा , बहुत समय पहले , शायद एक साल पहले मैंने एक पोस्ट लगाई थी :::  when death comes there will be only two questions ....... first - did you love and second - did you give ...  बस यही सार है जीवन का ..... प्रणाम ...

सदा आपका 

विजय 

Tuesday, June 4, 2013

सत्य

प्रिय आत्मन , 
नमस्कार .
मैं कुछ देर पहले ओशो के पत्र पढ़ रहा था . जो की उन्होंने अपने सन्यासियों को लिखा था . एक पत्र था जो उन्होंने अपने मित्र और सन्यासी श्री कोठारी जी को लिखा था . 
उसमे उन्होंने कहा था " हम चाहना ही नहीं जानते , वरना सत्य कितना निकट है " ये वाक्य मेरे मन में समां गया . कितनी सच्ची बात है . हा सच में ही नहीं जानते की हमें क्या चाहिए . या हमारी वास्तव में चाहत क्या है . नहीं तो ज्ञान से हमारी दूरी कितनी है . बिलकुल भी नहीं . 
तो सत्य यही है की हम ये जान ले की हमें क्या पाना है , हमारी चाहत क्या है . इजी फिर उसके बाद सारी तलाश खत्म हो जायेंगी . सब कुछ हमारे सामने दर्पण के तरह होंगा . तो मित्रो , आईये उस सत्य की खोज करे. और अपने आपको उसमे डुबो ले. 
प्रणाम आपका ही विजय