Tuesday, July 29, 2014

कभी हार न माने !!!

मेरे प्रिय आत्मन ; 
नमस्कार 

हम सब  जीवन के संघर्ष के गुजरते है और अक्सर ज़िन्दगी हमें टूट जाने की हद तक परेशान करती है .-इसकी आदत है कि हमें इतना परेशान करना कि हम हार मान जाए , पर जीतने का मौका भी हमें ज़िन्दगी ही देती है . 

रूमी का एक महत्वपूर्ण उपदेश है : 

"जब आप एक कठिन दौर से गुजरते हैं, जब सब कुछ आप का विरोध करने लगता है, जब आपको लगता है कि आप एक मिनट भी सहन नहीं कर सकते हैं, कभी हार न माने ! क्योंकि यही वह समय और स्थान है जब आपका अच्छा समय शुरू होगा I "

ज़िन्दगी ही हमें उठाती है , गिराती भी है और फिर से उठाती भी है , बस यारो थोडा सा जज्बा होना चाहिए , थोड़ी सी हिम्मत होनी चाहिए और एक विश्वास अपने आप पर और अपने प्रभु पर ! हमें जीतना ही होता है . 

आज मैं आपसे यही कहूँगा कि जीतना ही है आपको . हर संघर्ष से लड़ना ही होंगा 
और यही हम सबका परम धर्म होंगा ! 

मेरी एक कविता है : सपने 

सपने टूटते है ,
बिखरते है
चूर चूर होते है
और मैं उन्हें संभालता हूँ दिल के टुकडो की तरह
उठाकर रखता हूँ जैसे कोई टुटा हुआ खिलौना हो
सहेजता हूँ जैसे कांच की कोई मूरत टूटी हो .

और फिर शुरू होती है ,
एक अंतहीन यात्रा बाहर से भीतर की ओर
खुद को सँभालने की यात्रा ,
स्वंय को खत्म होने से रोकने की यात्रा
और शुरू होता है एक युद्ध
ज़िन्दगी से
भाग्य से
और स्वंय से ही
जिसमे जीत तो निश्चित होती है
बस
उसे पाना होता है

ताकि
मैं जी सकूँ
ताकि
मैं पा सकूँ
ताकि
मैं कह सकूँ
हां !
विजय तो मेरी ही हुई है.

तो आईये , हम हार न माने और उठकर खड़े हो फिर से जीने के लिए ! 

धन्यवाद और प्रणाम 
आपका अपना 
विजय 


3 comments:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज बुधवार ३० जुलाई २०१४ की बुलेटिन -- बेटियाँ बोझ नहीं हैं– ब्लॉग बुलेटिन -- में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
एक निवेदन--- यदि आप फेसबुक पर हैं तो कृपया ब्लॉग बुलेटिन ग्रुप से जुड़कर अपनी पोस्ट की जानकारी सबके साथ साझा करें.
सादर आभार!

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर सत्पथी जी, आप की इस कविता ने बहुत हिम्मत दिलाई है।

Asha Joglekar said...

क्षमा चाहती हूँ आपका नाम सप्पती की जगह सत्पथी लिखा गया।