मेरे प्रिय हृदयम मित्रों ;
सांध्य नमस्कार !
ये अक्सर होता है कि , हम सारे संसार में बहुत कुछ ढूंढते है , दूसरों को बारे में सोच- सोच कर निर्णय लेते है . ये भी , हम सोचते है कि , हम सब कुछ जानते है .. लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है कि हम सब कुछ जानते है . दरअसल सबसे ज्यादा जरुरी है , कि हम अपने हृदय में झांके और अपने आप को सबसे पहले समझे , तब ही कहीं जाकर हम दूसरों को समझने की थोड़ी सी बुद्धि प्राप्त कर पायेंगे .
यही जरुरत है , इस क्षण की . इस आयु की . इस जन्म की .
कि ,हम अपने ह्रदय में झांककर अपने आप को पहले जान ले .
इससे ईश्वर को समझना आसान हो जायेंगा
प्रणाम
प्रेम तथा जीवन से भरे आलिंगनो के साथ
आपका
विजय
सांध्य नमस्कार !
ये अक्सर होता है कि , हम सारे संसार में बहुत कुछ ढूंढते है , दूसरों को बारे में सोच- सोच कर निर्णय लेते है . ये भी , हम सोचते है कि , हम सब कुछ जानते है .. लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है कि हम सब कुछ जानते है . दरअसल सबसे ज्यादा जरुरी है , कि हम अपने हृदय में झांके और अपने आप को सबसे पहले समझे , तब ही कहीं जाकर हम दूसरों को समझने की थोड़ी सी बुद्धि प्राप्त कर पायेंगे .
यही जरुरत है , इस क्षण की . इस आयु की . इस जन्म की .
कि ,हम अपने ह्रदय में झांककर अपने आप को पहले जान ले .
इससे ईश्वर को समझना आसान हो जायेंगा
प्रणाम
प्रेम तथा जीवन से भरे आलिंगनो के साथ
आपका
विजय
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