मेरे आत्मीय मित्रो ,
नमस्कार
कभी इस पर भी सोचा है कि तुम्हारा खुद का क्या है जो इतना अभिमान है .
जीवन से लेकर मरण तक सब कुछ तो दुसरे का ही है . तब क्यों जीवन को इस तरह जीना कि वो खुद के लिए भी कष्टदायक हो जाए और दुसरो के लिए भी तकलीफदेह !
आईये , ईश्वर को याद करके उन सभी का आभार माने और धन्यवाद दे , जिन्होंने हमारे जीवन को संवारा , बेहतर बनाया !
ये जीवन आपका है . इसे खुशनुमा सिर्फ आप ही बना सकते है !
प्रणाम
सदा ही आपका
विजय
नमस्कार
कभी इस पर भी सोचा है कि तुम्हारा खुद का क्या है जो इतना अभिमान है .
जीवन से लेकर मरण तक सब कुछ तो दुसरे का ही है . तब क्यों जीवन को इस तरह जीना कि वो खुद के लिए भी कष्टदायक हो जाए और दुसरो के लिए भी तकलीफदेह !
आईये , ईश्वर को याद करके उन सभी का आभार माने और धन्यवाद दे , जिन्होंने हमारे जीवन को संवारा , बेहतर बनाया !
ये जीवन आपका है . इसे खुशनुमा सिर्फ आप ही बना सकते है !
प्रणाम
सदा ही आपका
विजय