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Saturday, July 25, 2015

क्षमापना

शुभ संध्या दोस्तों . 

बहुत दिन हुए . आपसे कोई बात नहीं कर पाया . जीवन बहुत कठिन है . जैसा हम सोचते है , वैसा कुछ हो नहीं पाता है और हर पल एक नए चैलेंज के साथ हमारे सामने खड़ा हो जाता है . और जीवन की इसी आपाधापी में हमसे कुछ गलतियां भी हो जाती है . और अक्सर क्रोध हमारी जिव्हा और हमारे मन मस्तिष्क पर सवार हो जाता है . और इसी कारण हम जाने अनजाने में ही दुसरो को दुःख पहुंचाते है . जिनमे से अक्सर बहुत सारे व्यक्ति अपने ही होते है . और ये भी होता है की उनके चले जाने के बाद [ जीवित और न रहने पर –दोनों ही अवस्था में ] हमें बहुत दुःख होता है. इसलिए आज मैं आपको एक छोटी सी देशना देता हूँ . 

आईये आज मैं आपसे कुछ कहता हूँ . आप ये कार्य करिए . मैंने एक पत्र तैयार किया है . इसे आप किसी भी तरह से अपने सारे दोस्तों / रिश्तेदारों और जानने वाले ,जिससे भी आप मिले हो ; सभी को एक बार भेज दे. चाहे लिख कर भेजे / ईमेल मे भेजे / लेकिन भेजे जरुर . 

देखिये फिर क्या होता है . एक ऐसा जादू जो की आपने सभी रिश्ते ठीक कर देंगा . 

सच्ची ! 
एक बार कोशिश करे ! 

आपका अपना 
विजय 

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मान्यवर/ मान्यवरा

क्षमापना सारी गलतियों व अपराधों को धोने का अमोघ उपाय है. मनुष्य की श्रेष्टथा इसी में है कि वह अपनी भूलो को स्वीकार करे. जो अपराध को स्वीकार नही करता वह अपराध से कभी मुक्त भी नही हो पाता . 

जीवन पथ इतना लंबा और अटपटा है कि उसे यदि क्षमापना से बार बार बुहारा न जाए तो वह कुडादान बन जायेगा. 
दुनिया में सारे धर्मग्रंथो और उपदेशों का सार है कि क्षमा को छोड़कर हम कितना भी चले कहीं भी नही पहुँच पाएंगे. 

याथार्थ तो यही है कि आत्म उत्कर्ष के किशी भी शिखर पर कोई कभी पहुँचेंगा तो वह क्षमा के साथ ही पहुँचेंगा . 

आईये , क्षमा द्वार से प्रवेश कर , मनो मालिन्य , राग,  द्वेष और अहंकार से मुक्त हो.

मेरे द्वारा किये गए किसी भी गलती के लिए मैं क्षमापार्थी हूँ  . कृपया मुझे ह्रदय से क्षमा करिए !

आपका अपना 
क्षमा प्राथी

Thursday, September 18, 2014

कृष्णं वन्दे जगतगुरु !!!


पिछले ३० सालो से एक बन्दे को समझने की कोशिश कर रहा हूँ .पर लगता है कि इस जन्म में उसे समझ नहीं पाऊंगा ! वो है कृष्ण !!!

कभी वो गोकुल का नटखट बालक है तो कभी वो महाभारत का निर्मम war moderator !
कभी वो राधा का निश्चल प्रेमी है तो कभी वो एक चालबाज राजनीतिक !
कभी वो मित्रो का मित्र है तो कभी वो दुश्मनों का दुश्मन !
कभी वो मानव है तो कभी भगवान !

वो अपने आप में एक रहस्यदर्शी है . उसे समझना असंभव है !!!

पर हाँ ,जब मैं उसका भक्त बनकर उसकी शरण में जाता हूँ तो सारे द्वार खुल जाते है और फिर कुछ भी समझने को बाकी नहीं रहता ! वो मेरे और मैं उनका !!!

कृष्णं वन्दे जगतगुरु !!!

कृष्ण का ये स्केच विजय बाबा ने बनाया है : एक भक्त की अपने प्रभु को भेंट !!





Wednesday, September 17, 2014

अन्नदान करिए !!!


दोस्तों , आधी दुनिया की चिंता ये है कि क्या खाए - क्योंकि उनके पास बहुत पैसा है और उनके पास खाने की choices  भी बहुत है . और ठीक उसी समय या फिर at any point of given time , बाकी की बची हुई आधी दुनिया की भी यही चिंता है कि क्या खाए - क्योंकि उनके पास खाने के लिए कम से कम खाना भी नहीं है , पैसे नहीं है ,इसलिए खाने की कोई choices भी नहीं है .
ये आदिकाल से चला आ रहा एक यक्ष प्रश्न है. आईये संकल्प करे कि जो कुछ भी हमसे हो सके - हम इस दुनिया में भूख को मिटाने में अपना योगदान करे. 

दोस्तों कम से कम एक मुट्ठी खाना भी अगर किसी को खिला सको तो समझो जी लिया . अन्नदान  करिए , इससे बेहतर ख़ुशी का रास्ता कोई और नहीं है !

आपका अपना 
विजय


Friday, September 5, 2014

शिक्षक दिवस

मेरे आत्मीय मित्रो 
नमस्कार 
आज शिक्षक दिवस है . हम सभी किसी न किसी गुरु को अपनाते है . उनकी शरण में जाते है. पर ये हमें कभी भी न भूलना चाहिए कि माता - पिता के बाद शिक्षक ही प्रथम गुरु है . आईये आज इस पावन दिन पर उन्हें ये बताये कि हमारी ज़िन्दगी में उनका कितना बड़ा योगदान है .
आप सभी को शिक्षक दिवस की ढेर सारी शुभकामनाये .
प्रणाम 
आपका अपना 
विजय



Saturday, July 12, 2014

गुरु पूर्णिमा

मित्रो , 
आप सभी को मेरे प्रणाम . 

जीवन में गुरु का महत्व माता -पिता के सामान ही है . और एक ही जीवन में हम एक अथवा अनेक गुरुजनों से मिलते है और ज्ञान ग्रहण करते है . जीवन को एक सही दिशा देने में गुरु का ही सर्वोत्तम स्थान है . इस लिए तो कहा गया है कि : 

||| गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णु गुरु देव महेश्वर, गुरु साक्षात् परब्रह्म, तैस्मय: श्री गुरुवे नमः |||

और ये भी बात उतनी ही सत्य है कि :

                    ईश कृपा बिन गुरु नहीं, गुरु बिना नहीं ज्ञान ।
                    ज्ञान बिना आत्मा नहीं, गावहिं वेद पुरान ॥

आईये गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर हम अपने अपने गुरुजनों को याद करे और उन्हें अपने प्रणाम अर्पित करे. 

और हां , आप सभी तो मेरे गुरु है ही , मैं कुछ न कुछ आप सभी से सीखते रहता ही हूँ. इसलिए आप सभी को मेरे प्रणाम ! 

आपका जीवन शुभ हो . 
आपका अपना 
विजय 



Thursday, June 26, 2014

जीवन !!!

मेरे आत्मीय मित्रो , 
नमस्कार 

कभी इस पर भी सोचा है कि तुम्हारा खुद का क्या है जो इतना अभिमान है . 

जीवन से लेकर मरण तक सब कुछ तो दुसरे का ही है . तब क्यों जीवन को इस तरह जीना कि वो खुद के लिए भी कष्टदायक हो जाए और दुसरो के लिए भी तकलीफदेह ! 

आईये , ईश्वर को याद करके उन सभी का आभार माने  और धन्यवाद दे , जिन्होंने हमारे जीवन को संवारा , बेहतर बनाया ! 

ये जीवन आपका है . इसे खुशनुमा सिर्फ आप ही बना सकते है !

प्रणाम 
सदा ही आपका 
विजय 


Friday, June 20, 2014

जीवन में बोलने का महत्व ...!!!

मेरे प्रिय आत्मीय मित्रो , 
नमस्कार 

आपका जीवन शुभ हो इसी मंगलकामना के साथ मैं एक बात कहना चाहता हूँ . 

हमारे शरीर की एक मात्र सम्पूर्ण अभिव्यक्ति सिर्फ हमारी जीभ ही है . और प्रभु ने इसे लचीला बनाया है ताकि हम सुगमता से इसका उपयोग कर सके . 

लेकिन अक्सर ये होता है कि क्रोध की अधिकता और समय तथ अपने आसपास के मित्रो / व्यक्तियों के असर में हम अपने शरीर के सबसे महत्वपूर्ण  अंग का दुरूपयोग करते है और सिर्फ इसी की वज़ह से हमारे जीवन के संबंध बिगड़ जाते है .

आईये हम प्रण करे कि अपने जीवन को और सहज और प्रेमपूर्ण बनाए और अपनी बातो से किसी को दुःख न पहुंचाए क्योंकि किसी को भी दुःख पहुंचाने की कोशिश में सबसे पहले खुद को ही दुःख पहुँचता है . 

आपका जीवन शुभ हो !
प्रणाम 
आपका अपना 
विजय 


Sunday, January 5, 2014

जीवन का रिश्ता

मेरे आत्मन,
नमस्कार .

हम सभी अपने जीवन को जीते हुए अक्सर एक छोटी सी बात को भूल जाते है और वो बात होती है जीवन का रिश्ता - जीवन में बने हुए रिश्तो से !

विवेकाननद के इस सूक्ति में गहरा रहस्य छुपा हुआ है !

आप सभी को एक बेहतर जीवन की ढेर सारी शुभकामनाये !
आपका अपना
विजय